रेडियो जॉकी

रेडियो जॉकी
तुम मां बेटी ने दो दिन से क्या लगा रखा है..... जैसे ही सहाय साहब डाइनिंग पर चाय लेकर बैठे मिसेज सहाय ने अंजली के रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग वाली बात दोहरा दिया.... सहाय साहब तहसील से आये ही थे कि मिसेज की बात सुन कर  भन्ना गये...मिसेज सहाय, सहाय साहब के मूड देखकर  खामोश हो गई....इतने में अंजली कमरे से निकल कर दालान में आ गई... पिता की बात सुन कर धीरे से बोली, ”मेरी टीचर कह रही थी कि तुम्हारी आवाज रेडियो के लायक है, तो मैने अखबार में इश्तियार देख कर ट्रेनिंग करने की सोच लिया” ...
क्या ट्रेनिंग कर लिया जाए!!! आजकल रेडियो का कोई मेयार रह गया है भला!!! जॉकी बनेगी,  अरे एक वक्त था जब रेडियो एनाउन्सरो की ही धाक थी और उन्ही के ही जलवे हुआ करते थे.... अदब, तहजीब लोग इन्ही एनाउन्सरो को सुन कर सीखा करते थे।। अब तो तहजीब भी खत्म हो गई और उसकी जबान भी...  हर जगह सिर्फ अंग्रेजी ही तो है ... कहां से आयेगी बोली में मिठास... बनना ही था तो एंनाउन्सर बनती!!!! अब उसका जमाना ही कहां रह गया, कौन सुनता है? अब  कहां रही रेडियो की ऐनाउन्सरो की वह बातें.... अब तो एक्का दुक्का ही रह गये है .....
पापा वो तहजीब ट्रस्ट वाले करा रहे है, तीन महीने का कोर्स है, ट्रेनर के तौर पर नजमुल हसन और आदर्श श्रीवास्तव जी आयेगें...
अरे, वही नजमुल जो एफएम पर भूली बिसरी यादें ले कर आते है,,, सहाय साहब ने अपने दामन से चश्मा पोछते हुए बड़े ताज्जुब ढंग से पूछा .... हां हां वही पापा वही,
मै भी तो कभी-कभी रात में उनके प्रोग्राम में पुराने गाने सुनता हूं....
अरे, मैडम जी जरा मेरा कोट तो उठा लाओ....  देखूं तो,,, बिटिया को फीस दे ही दूं,,,बिटिया कर ले रेडियो जॉकी बनने का  कोर्स.......

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