आवश्यक है बचाना अपने आसपास की नम जमीन को


आवश्यक है बचाना अपने आसपास की नम जमीन को
हर साल 2 फरवरी को पूरी दुनिया में आर्द्र भूमि के संरक्षण के लिए विश्व वेटलैंड्स दिवस मनाया जाता है.. आर्द्र भूमि या नम जमीन का अर्थ होता है कि जो भूमि वर्ष के लगभग 8 महिने या उससे अधिक किसी ना किसी तरह से नम बनी रहे... यह जमीन जैव विविधता का नजरिये से काफी मायने रखती है क्योकि इस तरह की जमीनो में अनेक जानवरो, पेड़ पौधे, झाड़िया पनपती है जिनका  प्रकृति तौर पर काफी महत्व होता है...जैव विविधता की दृष्टी से आद्र भूमि का महत्व सभी प्रकार के परिस्थितिकी तंत्र में काफी उच्च है, दुनिया की अधिकतर सभ्यताए आर्द्र भूमि  के आसपास ही विकसित हुई है...इसलिए  जैवविविधता के साथ साथ इनका सास्कृतिक, आर्थिक और पारस्थितिकीय योगदान भी है...

उत्तर प्रदेश में जिले के हिसाब से सबसे ज्यादा आद्र भूमि बहराइच जिले में है जहां जिले के कुल  क्षेत्रफल के मुकाबले 11.68 प्रतिशत भूमि आद्रता की क्षेणी में आता है...इस लिहाज से बहराइच जिले में संरक्षण का प्रयास ऐसा होना चाहिए कि इन नम जमीनो की यथास्थित बनी रहे...यही नही प्रदेश के अन्य जिले फरूखाबाद, फैजाबाद,सोनभद्र, संत कबार नगर में आद्र भूमि की अधिकता है इनके संरक्षण पर भी ध्यान देने की जरूरत है...
नब्बे के दशक के बाद अंधाधुंध विकास, लचर सरकारी नीति, आर्द्र भूमि का अन्य आवश्यकताओ के लिए परिवर्तन, बढ़ता शहरीकरण अपशिष्ट जल प्रबंधन, कचरा कुछ ऐसे कारण है जिनके कारण आज इन भूमि के विलुप्त हो जाने का खतरा उत्पन्न हो गया जिससे जल चक्रण और जल शुद्दीकरण जैसे सीधे तौर पर मानव कल्यण से जुड़े मुद्दो पर गंभीर विचार विमर्श की आवश्यकता हो गई है...जिसके प्रति जनजागरूकता और जनसहभागिता की विशेष आवश्यकता है...
हर साल 2 फरवरी को विश्व वेटलैंडस दिवस बनान का  कारण भी यह है कि अधिक से अधिक लोगो को इस के प्रति जागरूक किया जाए और जन भागीदारी से इसको नष्ट होने से बचाया जाए.....   

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