सज्जाद नाई

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सज्जाद नाई
 बचपन में हमारे गांव में एक नाई हर इतवार की सुबह ही आ जाते, नाम था उनके सज्जाद, हर स्कूल जाने वाले बच्चे जिनके बाल ब़डे होते थे घर वाले के फरमान पर उन्ही से बाल कटाने पड़ते थे। बच्चे तो बच्चे होते है, उनको भी बड़ो की तरह किसी हीरो के माफीक बाल काटने का मन करता था और ऐसे बाल तो केवल गोंडामोड़ पर सद्दन या  धर्मशाला के इब्राहिम ही काट सकते थे, उनके दूकान में कई बड़े बड़े शीशो के साथ शहरूख सलमान अक्षय और ना जाने कितने हीरो के फोटो भी लगे हुए थे और । सज्जाद के साथ हम बच्चो को यही दिक्कतो होती थी कि कहां वो दूकान में गद्देदार कुर्सी पर बैठ कर मजें से हीरो के माफिक बाल काटवाना और कहां ये सज्जाद है जो कही भी जगह मिलने पर झटाक से अपना गंदा कपडा निकाल कर लपेटा कर बिठा दिया जमीन पर किसी भी पेड़ के नीचे,बस छांव होना चाहिए  भले वह बहरियवा हो, फिटफिटियहवा हो, अम्मा के घर वाला चौसवा हो या हमारी बगिया का कोई पेड़, कही पर अपने छोटे से बक्से से उस्तूरा और कैची निकाल कर शुरू हो जाते, बालो को काटना दे खचा खचा दे खचा खचा । ऊपर से जुलुम यह कि हाथ में चेहरा देखने के लिए शीशा  भी हमही  को  पकड़ना पड़ता, गुद्दी में गुदगुदी लगती  वह अलग । यही वजह थी कि सब बच्चे उनसे बाल कटाने को तैयार नही होते थे।  हालात यह हो गये थे कि अगर दूर से कही सज्जाद आते दिख जाते तो लड़के उनको देख कर ही  छिप जाते थे और मियां सज्जाद उनके घर के सामने पूरा दिन बैठे रहते एक वह थे जो बाल काटे बगैर जाने को तैयार नही एक हम थे कि उनसे किसी कीमत पर बाल कटवाने को तैयार नही होते थे। बाल बढ़ने के साथ यह ड्रामा रोज हर किसी के घर मे इतवार को देखने को मिल ही जाता था। सज्जाग के होम डिलीवरी सर्विस का फायदा यह था कि घर में जितने भी लोगो को बाल बडे होते थे उनकी हजामत इक साथ बन जाती थी और घर के किसी चाचा, मामू को लाइन डोरी लगा कर बच्चो को बाजार नही ले जाना पड़ते था। बच्चे थे कि हर इतवार को इसी प्लान में रहते थे कि इस बार बाल तो बाजार जा कर ही  कटायेंगे, योजना सोमवार से ही स्कूल जाते वक्त  बनना शुरू हो जाती थी और सज्जाद थे, कि सारे प्लान पर आने वाले  इतवार की सुबह सुबह  ही पानी फेर देते थे। हर इतवार की इसी किच किच से हर घरवाले परेशान रहते थे फिर एक दिन हमारे बड़े मामूजान ने बड़े सरगोशी से हम बच्चा लोगो को सज्जाद के एक राज़ के बारे में बताया कि सज्जाद कोई छोटे मोटे नाई नही है बल्कि वह इक नामी गिरामी नाई है। किसी जमाने में उनकी बंबई में बहुत बड़ी दूकान हुआ करती थी और आज के एक मशहूर हीरो  उनके यहां बाल कटाते थे, लेकिऩ तब वह इतने बडे हीरो नही हुआ करते एक दिन जब उनकी  फिल्म हिट हो गई और वह सुपर स्टार बन गये, सज्जाद मारे खुशी के उनसे मिलने पहुचें तो उन्होने उनको पहचाना ही नही जबकि फिल्म में उनके बालो की काफी तारीफ हुई थी। सज्जाद इसी बात से  दुखी होकर अपने गांव वापस  लौट आये और अब वह छोटे बच्चो के बाल बिल्कुल उसी हीरो की तरह काटते है जिसने उनको पहचाना नही था लेकिन अगर किसी ने सज्जाद से यह बात पूंछ लिया तो वह फिर नाराज हो जायेगें और लौट कर कभी भी नही आयेंगें। फिर क्या ! अगले हर  आने वाले इतवार से बच्चो को बाल कटाने के लिए बेसब्री से सज्जाद का इंतजार रहने लगा।
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