माटी की लकीरें


चलो एक खेल खेलते हैं
ज़मीन पर,
कुछ लकीर उकेरते हैं
फिर उन्हें सरहद का नाम देते हैं ,
धीरे धीरे दिलो को भी बाट देते हैं
खेल में खीची लकीरों पर कुछ पहरुए बैठा देते हैं .
सांझ हो चली हैं ,
चलो अपने माटी की और चलते हैं
किसी तरह उन लकीरों को मिटाने का जतन करते हैं
चलो एक खेल खेलते हैं
उन बनी हुई सरहदों को तोड़ने का जतन करते हैं
चलो एक खेल खेलते हैं .

Comments

Popular posts from this blog

जिंदादिली

A LEOPARD RESCUED FROM HUMAN POPULATION

khawab khawaish aur khabar