मेरी बेज़ुबानी की सदा

मैं एक नर शावक हूँ, जात से मैं तेंदुआ हूँ. जन्म मेरा कातार्निया के जंगलो में हुआ मेरी उम्र सिर्फ आठ माह है और इस छोटी से उम्र में मैंने बहुत बड़ी बेदर्द दुनिया देख ली हैं. वैसे तो मैं तबियत से शर्मीला हूँ पर आदत से मजबूर होने के नाते कभी कभी भटक कर आदमीओं की बस्ती की तरफ चला आता हूँ इस बार भी मैंने यही ग़लती की और फिर मैं पकड़ा गया .इस बेदर्द दुनिया में मेरा सहारा कोई नहीं हैं अपनी इस हालत का मैं खुद ही ज़िम्मेदार हूँ एक बात और कि वह मैं ही हूँ जिस की वजह से आज आदमी एक तरक्कीयाफ्ता इंसान बन सका हैं .मेरे ही बुजुर्गों की वजह से आप इंसानों ने घर बनाना शुरू किया. फूस के घर से ले कर आज के बहुमंजिला इमारत शायद हमारे ही खौफ की वजह से हैं .यह कंकरीट के जंगल जो आज आप देख रहे हैं यह हमारे ही दरिन्दगी का नतीजा हैं .जी हाँ अक्सर आप सभी लोग मुझे और मेरे रिश्तेदारों को वहशी दरिंदा ही कहते हैं लेकिन मैं दरिंदा नहीं हूँ .बल्कि तकदीर और कुदरत ने मुझे इस तरह बनाया ही हैं .और अगर मैं वहशी हूँ तो आप क्या हैं ? आप तो इंसान हैं औरअश्राफुल मख्लुकात (विवेक धारी ) हैं आप की पास तो अक्ल हैं फिर क्यों आप अपने को तबाही के मुह में धकेलने पर उतारू हैं .आप ने अपने आने वाली नस्लों को भी तबाही के मुहाने पर खड़ा कर दिया हैं .आप ने तो अपने आने वाली नस्लों के मुकद्दर को भी बेच खाया हैं और वह भी अपनी मतलब परस्ती के खातिर , ..... ... इतनी छोटी से कीमत परहम तो दरिन्दे हैं इसी दरिंदगी के तोहमत पर तो हम कुछ की तादाद में आज बचे हैं हम अपने रखवालों से उम्मीद नहीं कर सकते हैं मैं पिंजरे में क़ैद एक अबला मखलूक (जीव ) हूँ और आप सभी लोग मुझे देख कर ताली बजा रहे हैं .मुझे नहीं मालूम कि मेरी मंजिल कहाँ हैं बस यही कफस और उदासी ही आब मेरा मुस्तकबिल हैं .आज रात शायद मेरी माँ मुझे ढूँढती हुई बस्ती की तरफ जाये और उस पर भी दरेंदगी का लांचन लगा कर आप लोग या तो उसे पीट - कर मार डाले या फिर उसके मुकुद्दर को मेरे तरह पिंजरे के हवाले कर दे .पर में कुछ नहीं कर सकूँगा मैं तो इस लोहे के घरौंदे में क़ैद आप के लिए एक तमाशा हूँ .हाँ मगर आप की बीच में से जाने से पहले आप को एक सलाह ज़रूर देना चाहूँगा कि अगर आप अपने मुस्तकबिल को बचाना चाहते हूँ तो हमे बचाएं नहीं तो हमारा क्या हैं हम तो ठहरे बेजुबान दरिन्दे लेकिन मेरे होने को नकार कर आप अपने होने को भी नकार रहे हैं अगर हम नहीं बचागे तो आपका भी अस्तित्व मिट जायेगा .
(यह गाथा उस बेजुबान तेंदुए कि बच्चे की आँखों ने दबीर हसन प्रोजेक्ट अधिकारी WWF को बताया )


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