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Showing posts from March, 2010

वोट बैंक

तुम मेमना मैं भेड़िया तो तुम मेरा शिकार करोगे नहीं तो क्या मुझे मार डालोगे नहीं मैं तुमसे वोट लूँगा फिर फिर कुछ नहीं मैं तुम्हारी बोटिया नोच नोच खाऊंगा

आओ बचाएं इन नन्ही जानो को

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पिछले दिनों होली की मे छुट्टी में कतरनियाघाट जाना हुआ वहां पर अचानक के.के। मिश्र जी से मुलाकात हुई पता चला की पर्यावरण पर लेख लिखते हैं और दुधवा लाइव जैसे वेबसाइट से लोगो में जागरूकता फैला रहे हैं खास कर के जंगली इलाको के आस पास .बहुत ख़ुशी हुई की कोई वाकई गंभीर काम कर रहा हैं पर्यावरण के लिए .फिर मैं लखनऊ वापस आ गया और कल मैंने उनसे फिर रफ्ता कायम किया तो पता चला की वह आज कल गौरय्या बचाव अन्दलों में व्यस्त हैं .तब और ख़ुशी मिली की चलो एक और गंभीर पर्यास हो रहा हैं नहीं तो अज कल तो बाघ बचाओ का ही नारा हर तरफ बुलंद हैं और बाघ बचाना status symble बन गया हैं बड़े बड़े लोग ऊचे ऊचे मंचो से सिर्फ बाघ के बचने की बात कर रहे हैं और गौरय्या या मेढक कोई नहीं बचा रहा हैं जबकि जैविक तंत्र में ये भी उतने ही महत्पूर्ण हैं .बड़े मज़े की बात हैं कल ही शाम को मैं अपने दोस्त की मोटर साइकिल पर स्वर हो कर घूमने निकला तो देखा की बाघ को बचने के बड़े बड़े पोस्टर लखनऊ में भी लगे हैं .थोडा अफ़सोस हुआ और थोडा हंसी आई की आखिर बाघ लखनऊ में कैसे बच सकते हैं .इनको बचने के लिए तो जंगल के आस पास ही जागरूकता फैलैयें तो...

माटी की लकीरें

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चलो एक खेल खेलते हैं ज़मीन पर, कुछ लकीर उकेरते हैं फिर उन्हें सरहद का नाम देते हैं , धीरे धीरे दिलो को भी बाट देते हैं खेल में खीची लकीरों पर कुछ पहरुए बैठा देते हैं . सांझ हो चली हैं , चलो अपने माटी की और चलते हैं किसी तरह उन लकीरों को मिटाने का जतन करते हैं चलो एक खेल खेलते हैं उन बनी हुई सरहदों को तोड़ने का जतन करते हैं चलो एक खेल खेलते हैं .

मेरी बेज़ुबानी की सदा

मैं एक नर शावक हूँ , जात से मैं तेंदुआ हूँ. जन्म मेरा कातार्निया के जंगलो में हुआ मेरी उम्र सिर्फ आठ माह है और इस छोटी से उम्र में मैंने बहुत बड़ी बेदर्द दुनिया देख ली हैं . वैसे तो मैं तबियत से शर्मीला हूँ पर आदत से मजबूर होने के नाते कभी कभी भटक कर आदमीओं की बस्ती की तरफ चला आता हूँ इस बार भी मैंने यही ग़लती की और फिर मैं पकड़ा गया . इस बेदर्द दुनिया में मेरा सहारा कोई नहीं हैं अपनी इस हालत का मैं खुद ही ज़िम्मेदार हूँ एक बात और कि वह मैं ही हूँ जिस की वजह से आज आदमी एक तरक्की याफ्ता इंसान बन सका हैं . मेरे ही बुजुर्गों की वजह से आप इंसानों ने घर बनाना शुरू किया . फूस के घर से ले कर आज के बहुमंजिला इमारत शायद हमारे ही खौफ की वजह से हैं . यह कंकरीट के जंगल जो आज आप देख रहे हैं यह हमारे ही दरिन्द गी का नतीजा हैं . जी हाँ अक्सर आप सभी लोग मुझे और मेरे रिश्तेदारों को वहशी दरिंदा ही कहते हैं लेकिन मैं...

A LEOPARD RESCUED FROM HUMAN POPULATION

A leopard cub spotted into human population in the search of prey, by mistake cub entered in the human population near Ghurepurwa village of Sujulii beat of Nishatgahara range of Katerniaghat Wild Life Sanctuary .The incident occurred on 22 Feb. 2010 when a eight month male leopard entered into human population and taken a shelter into the hut near by the jungle which belong to Nishanghara range. the area comes under dense human population .When the cub was spotted in the house , master of the house immediately informed the WWF field office Katerniaghat .Dabeer hasan with forest personnel and other civic authority rushed immediately on the spot . There was an anger crowed gathered out of the house when project officer seen this he started talking to them but he was unable to explain to them soon he realize this and called the police force from sujulii and Murthia Thana .As early as police force reached at the area they covered and captured the whole periphery where the cub was seen. Ti...