चिढ़

एक जमाने में जब गांव में मोबाइल जैसी नायाब चीज़ नही हुआ करती थी तो गांव में मनोरंजन के कई गवई साधन हुआ करते थे..  टाइम पास के लिए  कुछ खास लोगों को चिढाना भी हुआ करता था... इसी कड़ी में गांव मे आने वाला कोई फेरी  वाला होता था गांव मे बाल काटने वाला कोई नाई होता था... कोई फूफा जिनको किसी नाम या किसी विशेष चीज से चिढ होती थी..ऐसे ही गांव में एक नाई हकीकउल्लाह थे, जिनको करैले से चिढ़ थी ...वह करेैला खाते नहीं थे..ठीक हैं भईया ना खाव कैरला, कोई बात नही खानपान अपना एक निजी मामला हैं...! भईया, लेकिन वह जैसे ही करैला कहीं देखते नानी- महतारी की गाली देना शुरू कर देते ...हकीकउल्लाह की पत्नी आये दिन इस करैले के कारण उसके प्रकोप का शिकार होती रहती थी और गांव के लड़के थे, कि छेडखानी से बाज़ नही आते थे पूरा गांव उनको करैला ही कह कर पुकरता और फिर गाली सुनकर तृप्त होता... छोटे बड़े सब करैला मामा कह कर चिढ़ाते थे...गांव में एक प्रचलन और भी था  किसी शादी विवाह मे कोई ना कोई नाई जरूर आता था जज़मानी पूजने, नाई और उसका परिवार शादी विवाह वाले घर में पूरा काम सभांलते थे..बर्तन माजने से खाना खिलाने तक सब काम इनही के जिम्मे होता था...इसी में  कोई मुरहा लड़का किसी ना किसी तरह से  छेड़खानी करने से बाज़ नहीं आता.. कही बर्तन धुलने वाले परात मे कोई करैला डाल देता तो करैला मामा वहीं से गुस्सा होकर भाग जाते फिर चाहे बराती या घराती खाये या ना खाये... वसीम साहब की बारात में गज़ब ही हो गया सारे बराती बस से गोण्डा जा रहे थे बस अपने रव में चल रही थी कि अचानक से बस का दरवाजा खुला और करैला मामा चलती फुल स्पीड की चलती बस से कूद पड़े पूरे बस मे "हूं" का आलम उठा आनन फानन में बस रोक कर देखा जाने लगा कि करैला मामा बचे की निकल लिए, देखा तो मामा कपड़े झाड़ते हुए चले आ रहे थे....अरे मामा क्या हो गया? काहे विवाह चौपट करने पर ऊतारू हो? का हौय गवा कि बस से छलांग लगा दिहव ..अरे कऊनौ सार तमाखू खाय के खातिर बटुआ मागिस और  सार वमन् करैला रख दिहस...तौ तू एक करैला कै खातिर पूरे बराती का जेल पहुचाय देहव!

Comments

Popular posts from this blog

जिंदादिली

A LEOPARD RESCUED FROM HUMAN POPULATION

khawab khawaish aur khabar