विश्व महिला दिवस पर विशेष
आधी आबादी को बनाएं पर्यावरण का सरोकार
विश्व महिला दिवस पर विशेष
पर्यावरण मानव और
प्रकृति के बीच के संबंधो की कहानी है। प्रकृतिमानव सभ्यता को एक उपहार के तौर
पर मिला है। प्रकृति अपने स्तर पर किसी भी मानव के बीच विभेद नही करती। प्रकृतिक संसाधनो का कोई भी मानव किसी भी तरह से उपयोग करें प्रकृति उसमें रुकावट तब तक नही
पैदा करती, जब तक पृथ्वी विनाश की ओर ना बढ़ने लगे। आज के संदर्भ में मानव-सभ्यता
के क्रियाकलापो से प्रकृति और पर्यावरण को विनाश का खतरा पैदा हो गया। प्रकृति के
अंदर के अद्भुत सृजनशक्ति है और यह सृजन शक्ति प्रकृति से स्त्री को भी मिला है। नारी
के अंदर अदम्य साहस और सृजनात्मकता है।प्रकृतिक संसाधनो के उपयोग के संदर्भ में देखा जाए तो नारी इसके प्रबंधन के बारे में बेहतर जानती है
वैसे भी आधी आबादी पर अपने परिवार के
लालान पालन की सबसे अधिक जिम्मेदारी होती है इनही सब बातो के ध्यान में
रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने भी नारी शक्ति को पहचाना और पर्यावरण को बचाने में
नारी की सहभागिता को बढ़ाने पर जोर दिया। संयुक्त राष्ट्र ने साल 2015 में जो
धारणीय विकास की परिकल्पना के सत्रह सूत्र जारी किये है उसमें यह जोर देकर कहा गया
है कि नारी सशक्तिकरण के बगैर धारणीय विकास की परिकल्पना कोरी ही रहेगी, इसलिए
आवश्यक है कि नारी उत्थान के लिए जो प्रयास हो रहे है उससे कही ना कही पर्यावरण
संऱक्षण भी होगा।
“बीजिंग डिक्लेरेशन” के 12 सूत्र जोकि 189 देशो
के लोगो ने सन् 1995 में स्वीकार किया था जिसमें महिलाओ की पर्यावरण में सक्रिय
रुप भागीदारी के लिए फैसला लेने में बढावा देना, नीति निर्माण और विकास पर होने वाले असर में
महिलाओ को सीधे तौर पर सहभाग करने पर जोर दिया गया था...साथ ही साथ महिलाओ और
बच्चियों को पर्यावरण कार्यक्रमो पर अधिक संवेदनशील और उनके अनुभवो से लाभ लेने का
भी विश्व बिरादरी ने जो संयुक्त रुप से वादा किया था उसमें भी खरे उतरने का अब समय
आ चुका है।भारत में अनेक ऐसे पर्यावरण
संबंधी आंदोलन हुए है जिसमें महिलाओ ने सक्रिया रूप से भागीदारी की है “चिपको आंदोलन” में महिलाओ ने पर्यावरण को
अपने स्थानीय अर्थ से जोड़ कर इसको सफल बनाया है और पहली बार सरकारी संस्थाओ ने
महिलाओ की पर्यावरण पर सहभागिता को संज्ञान में लिया...

Images of Chipko Andolan(For Awareness)
आज को दौर में महिलाओ के
सामने अनेक चुनौतियां है फिर भी पर्यावरण को लेकर वह काफी सक्रिय है और बीजिंग
डिक्लेरेशन के 22 साल बाद अब विश्व के अनेक देश महिलाओ को पर्यावरण संरक्षण के संबंध
में फैसले लेने और नीति बनाने में सशक्त कर रहा है जिसमें भारत भी अब पीछे नही है
लेकिन प्रयास अभी पर्याप्त नही है।
कुंजी शब्द- #बीजिंग-डिक्लेरेशन#, #पर्यावरण#, #सहभागिता#, #भागीदारी#, #धारणीय#, #विकास#, #मानव-सभ्यता#

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with facts and figures
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