नापाक
"यार मिर्जा सुबह सुबह फिर पानी रोड पर ही फेंक दिया" चाय की दूकान ना हो गई बिल्कुल नापदान... एक से एक लोग आपकी ढाबली पर खड़े होकर चाय पीते है ,लेकिन मियां, आप तो बाज ही नहीं आते,आदत से मजबूर है, रोज गिलास धुल कर पानी रोड पर ही फेक देतें हैं आप.अमां जाओ, कौन सी रोड इनके अब्बा की हैं, थी तो सब अपनी ही जागीरदारी, "वैसे भी जो सरकारी है वो जमीन हमारी हैं"!!!अच्छा भई ठीक हैं तुम पुराने जगीरदार हो, पर रोज कोई गाड़ी वाला किसी शरीफजादे को छीप के चला जाता हैं..अमां जाओ कौन सा मुझे छीपता हैं मै तो हमेशा अपने काउंटर के पीछे ही रहता हूं................,............,,,,,,,,,,,,,,$$$$$$$$$!!!,,,,,,,,,,,,,,,,, क्या हुआ मिर्जा जुमा नहीं पढने गये जुमे के तो बड़े पाबंद हो भले पंचवक्ता की पाबंदी ना हो...जल्दी करो नहीं तो जुमा छूट जायेगी...फिर खड़े खड...