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खबर की होड़ में कुत्ता बने वनराज

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                   खबर की होड़ में कुत्ता बने वनराज घटना बहराईच का कतर्नियाघाट के जंगलो की जहां बाढ के पानी से परेशान एक बाघ नदी को तैरते फांदते अचानक एक बस्ती में दिन दहाडे आ धमका(खबर लिखने के स्टाइल में)। घटना रोचक थी, और तकनीक के घोड़े पर सवार उन्मादी लोगो ने इस वाक्ये को अपने मोबाइल कैमरे में  कैद करने की किसी भी तरह की कसर बाक़ी नही लगाई। जबकि शायद ही उन्हे पता हो कि ऐसा नही किया जाना चाहिए क्योकि इससे इनके शिकार का खतरा बढ़ जाता है। बात जब पत्रकारो को पता चली तो हसब दस्तूर खबर बनाने की होड़ लग गई, और आज की दुनिया में खबर में मसाले ना हो तो खबर जचती नही, ऐसा ही मान लिया गया है। तो खवरनवीस(पत्रकार) लग गये इसको कवर करने की होड में, हांलाकि इस तरह की फील्ड में जो मौजूदा पत्रकार होता हे, वह हकीकत में पत्रकार नही होता बल्कि जिले पर बैठे असली पत्रकार का एक धुंधला चेहरा होता है, जिसे ही पढाई लिखाई की भाषा में ही रिपोर्टर कहा जाता है, जर्नालिस्ट नही, क्योकि इसका काम सिर्फ रिपोर्ट करना होता है, चूंकि इसका आका या मालिक जिले पर होता ...