सज्जाद नाई
https://www.facebook.com/abid.raza.50159 सज्जाद नाई बचपन में हमारे गांव में एक नाई हर इतवार की सुबह ही आ जाते, नाम था उनके सज्जाद, हर स्कूल जाने वाले बच्चे जिनके बाल ब़डे होते थे घर वाले के फरमान पर उन्ही से बाल कटाने पड़ते थे। बच्चे तो बच्चे होते है, उनको भी बड़ो की तरह किसी हीरो के माफीक बाल काटने का मन करता था और ऐसे बाल तो केवल गोंडामोड़ पर सद्दन या धर्मशाला के इब्राहिम ही काट सकते थे, उनके दूकान में कई बड़े बड़े शीशो के साथ शहरूख सलमान अक्षय और ना जाने कितने हीरो के फोटो भी लगे हुए थे और । सज्जाद के साथ हम बच्चो को यही दिक्कतो होती थी कि कहां वो दूकान में गद्देदार कुर्सी पर बैठ कर मजें से हीरो के माफिक बाल काटवाना और कहां ये सज्जाद है जो कही भी जगह मिलने पर झटाक से अपना गंदा कपडा निकाल कर लपेटा कर बिठा दिया जमीन पर किसी भी पेड़ के नीचे,बस छांव होना चाहिए भले वह बहरियवा हो, फिटफिटियहवा हो, अम्मा के घर वाला चौसवा हो या हमारी बगिया का कोई पेड़, कही पर अपने छोटे से बक्से से उस्तूरा और कैची निकाल कर शुरू हो जाते, बालो को काटना “ दे खचा खचा दे खचा खचा ” । ऊप...