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Showing posts from August, 2021

मोहर्रम आंदोलन से बेनकाब होता यजीदियत का चेहरा

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*मुहर्रम: एक परिचय।* दोस्तों, आप अपने आस पास हर वर्ष मोहर्रम में मजलिस होता ज़रूर देखते होंगे। मोहर्रम और चेहल्लुम में मजलिस, जुलूस, लोगों का मातम करना और रोना     यह परंपरा भारत में और उसके पड़ोसी देश में सैकड़ों वर्षो से देखने को मिल रही है। आप में से बहुत से लोग यह जानते होंगे कि मोहर्रम में ये सब  हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद  रखने के लिए मनाई जाने वाली परंपरा है।    फोटो_शोजब ज़ैदी हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के छोटे नाती थे और उनकी शहादत आज से कोई 14 सौ  वर्ष पूर्व, आतंक का प्रतिरोध करते हुए, अपने  71 साथियों व परिवार जनों के साथ,  जिन मे छः महीने का शिशु भी था,   इराक की मरूभूमि पर हुई थी। इसी  जगह आज कर्बला नगर आबाद है जहां उनकी समाधि स्थित है। आपके मन में अवश्य ही यह जानने की जिज्ञासा होती होगी कि आखिर इमाम हुसैन की शहादत किस कारण से हुई थी? उनका पैगाम क्या था? और यह आज इतने दिनों बाद भी विश्व भर में उनकी शहादत की याद इतने जोर शोर से क्यों मनाई जाती है? आखिर ह...

1400 साल पहले जब आतंकवाद का शिकार हुए पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे

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1400 साल पहले जब आतंकवाद का शिकार हुए पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे "अगर आपको ये लगता है कि दुनिया में आतंकवाद अभी शुरु हुआ है, या आतंकवाद का कोई धर्म होता है, तो आप गलत हैं। क्योंकि अगर ऐसा होता तो 1400 साल पहले खुद को मुसलमान कहने वाले कुछ आतंकवादी मुसलमानों के ही पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों का सर कलम ना करते मोहर्रम (Muharram), इस्लामिक कैलंडर का पहला महीना  हर साल मुहर्रम आते ही उस ज़ुल्म को यादकर इमाम हुसैन के मानने वाले उनका ग़म मनाते हैं। मुहर्रम के शुरुआती 10 दिनों में कर्बला (Karbala) के वाक्ये को याद किया जाता है, इमाम हुसैन के मकबरे की शक्ल में ताज़िए निकाले जाते हैं। उनके मानने वाले उनकी याद में रोते हैं और मातम करते हैं। कर्बला में क्यों किया गया इमाम हुसैन का क़त्ल? मगर सवाल ये है कि आखिर पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन को कर्बला में क़त्ल क्यों किया गया? क्यों खुद को मुसलमान कहने वाले लोगों ने उनके भरे घर को उजाड़ दिया? इसे जानना ज़रूरी है। मगर इसे जानने के लिए करीब 1400 साल पहले जाना होगा, जब मुहर्रम मही...