यह गलिओं के आवारा बेकार कुत्ते
की बख्शा गया जिनको ज़ौकै कदयीए
ज़माने की फिटकार सरमाया इनका
जहाँभर की दुद्कार इनकी कमाई
ना आराम शब् को ना राहत सबेरा
गलाज़त में घर नालियों में बसेरा
जो बिखरे तो एक दूसरे से लड़ा दो
ज़रा एक रोटी के टुकडा दिखा दोये
yeh हर एक की ठोकर खाने वाले
यह फाको से उकता कर मर जाने वाले
यह मजलूम मखलूम गर सर उठाएं
to इ ंसान सब सरकशी भूल जाये
ये चाहें तो दुनिया को अपना बना लें
यह आकाओं की हड्डी को तक चबा lein
लें कोई इनको एहसास ए जिल्लत दिला दे
कोई इनकी सोई हुई दुम को हिला दे .
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